Monday, November 3, 2025

हायरिंग VS. बनाम हायरिंग फास्ट: अपनी टीम को समझदारी से स्केल करने का तरीका

हर बढ़ते हुए बिज़नेस के सामने एक कॉमन सवाल आता है —
“क्या मुझे जल्दी किसी को हायर करना चाहिए ताकि काम न रुके, या इंतज़ार करना चाहिए सही व्यक्ति का?”

हायरिंग फास्ट शॉर्ट टर्म में ठीक लग सकती है, लेकिन ये लॉन्ग टर्म में बड़ी प्रॉब्लम्स क्रिएट करती है —
जैसे हाई एट्रिशन, स्किल्स का मिसमैच, और कल्चर से कॉन्फ्लिक्ट।
स्मार्ट चॉइस हमेशा यही है — हायरिंग राइट, भले ही थोड़ा टाइम ज़्यादा लगे।

         

क्योंकि लंबे समय में, people decisions = business success. 

1. हायरिंग फास्ट की कॉस्ट

जब स्पीड क्वालिटी से ऊपर हो जाती है:
• गलत कैंडिडेट्स इंटरव्यू से निकल जाते हैं
• री-ट्रेनिंग और मिस्टेक्स को सही करने में टाइम वेस्ट होता है
• एम्प्लॉयी टर्नओवर बढ़ जाता है
• टीम का मोरल डाउन होता है

👉 रिज़ल्ट: थोड़ी राहत अभी, लेकिन बाद में केऑस।


2. हायरिंग राइट की पावर

जब आप हायरिंग राइट पर फोकस करते हैं:
• एम्प्लॉयीस कंपनी कल्चर और वैल्यूज़ से अलाइन होते हैं
• परफॉर्मेंस स्ट्रॉन्ग और कंसिस्टेंट रहती है
• रिटेंशन बेहतर होता है, जिससे हिडन कॉस्ट घटती है
• आपकी ऑर्गनाइजेशन में सिर्फ वर्कर्स नहीं, बल्कि लीडर्स जुड़ते हैं

👉 हायरिंग राइट = स्टेबिलिटी + स्केलेबिलिटी।


3. राइट हायरिंग के की स्ट्रेटेजीज़

जॉब रोल्स क्लियर डिफाइन करें – हायरिंग से पहले JD, KRA, KPI तय करें
कल्चरल फिट मैटर करता है – स्किल्स सिखाए जा सकते हैं, पर माइंडसेट और वैल्यूज़ नहीं
स्ट्रक्चर्ड इंटरव्यू प्रोसेस रखें – बिहेवियरल और सिचुएशनल क्वेश्चन्स यूज़ करें
ट्रायल प्रोजेक्ट्स दें – परमानेंट हायरिंग से पहले परफॉर्मेंस टेस्ट करें
ऑनबोर्डिंग सिस्टम मज़बूत रखें – स्मूद स्टार्ट से एंगेजमेंट बढ़ता है


4. सही टीम के साथ स्केल करना

बिज़नेस ज़्यादा लोगों से नहीं बढ़ता,
वो बढ़ता है राइट पीपल इन राइट रोल्स से।
गोल सिर्फ सीट्स भरना नहीं होना चाहिए,
बल्कि ऐसी टीम बनाना चाहिए जो ओनरशिप के साथ बिज़नेस चलाए।


क्यों RRTCS?

RRTCS – Rahul Revne Training & Consultancy Services में हम कंपनियों को हायर राइट, नॉट फास्ट करने में हेल्प करते हैं।
हमारे स्ट्रक्चर्ड हायरिंग फ्रेमवर्क्स, SOPs और ऑनबोर्डिंग सिस्टम्स ये सुनिश्चित करते हैं कि आपको सिर्फ एम्प्लॉयी नहीं, बल्कि लॉन्ग-टर्म एसेट्स मिलें।

क्योंकि स्मार्ट स्केलिंग का मतलब है — राइट पीपल में इन्वेस्ट करना, न कि जल्दबाज़ी में।

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